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कालसर्प दोष के वर्ष

कालसर्प दोष के वर्ष

कालसर्प दोष के वर्ष : कालसर्प दोष ग्रहों की एक ऐसी स्थिति है जिसमें राहु एवं केतु के मध्य में सूर्य मंडल के अन्य ग्रह आ जाते हैं और राहु एवं केतु अपना अत्यधिक प्रभाव दिखाते हैं। जिस कारण से सूर्य मंडल के अन्य ग्रहों के प्रभाव गौण हो जाते हैं। हम इसे इस प्रकार से समझ सकते हैं कि राहु एक सर्प का सिर होता है और केतु पुच्छ और बाकी के सभी ग्रह इस सर्प के पाश में बंध जाते हैं। और यह सर्प इन ग्रहों को अपने पाश में बुरी तरह जकड़ लेता है। अब ग्रह अपना प्रभाव कुंडली में चाहते हुए भी नहीं डाल पाते हैं। क्योंकि राहु एवं केतु ,शनि की भांति अपना प्रभाव एवं दुष्प्रभाव किसी कुंडली में दिखाते हैं। यह काल सर्प दोष १२ राशियों के अनुसार १२ प्रकार के होते हैं। कालसर्प दोष जिन व्यक्तियों के कुंडली में होता है उन्हें विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है| कालसर्प दोष मुख्यतः जातक की कुंडली में विपरीत प्रभाव डालते हैं। जातक के जीवन में कालसर्प दोष का प्रभाव ४९ सालों तक देखा गया है।कभी-कभी यह जीवन भर भी रहता है।